India China Latest Hindi News || भारत चीन की ताजा खबर || China US Tention
![India China Border details Xi Jinping and Narendra modi](https://images.indianexpress.com/2020/01/Modi-Xi.jpg)
चीन के साथ ताजा विवाद को समझने में इतिहास बहुत कारगर नहीं हो सकता है क्योंकि यह न तो लद्दाख के पुराने विवाद की तरह है, न डोकलाम की तरह है और न पूरी तरह से 1962 की तरह है, जब गालवान नदी कि किनारे की जमीन चीन ने हड़पनी शुरू की थी। 1962 के बाद संभवतः पहली बार है, जब चीन इतने बड़े पैमाने पर यथास्थिति को बदल रहा है। इससे पहले दोनों देशों में जब भी विवाद हुआ तो यथास्थिति को लेकर हुआ और फिर दोनों देशों के बीच बातचीत से उसे सुलझा लिया गया। इस बार चीन उन इलाकों में भी यथास्थिति बिगाड़ रहा है, जो पहले से विवाद में रहे हैं और उन इलाकों में भी जहां विवाद नहीं रहा है। तभी यह ज्यादा गंभीर स्थिति है क्योंकि चीन उस इलाके में यथास्थिति भंग कर रहा है, जो दोनों देशों के बीच कभी भी विवाद का विषय नहीं रहे हैं।
यह बात सरकार देश के नागरिकों को नहीं बता रही है कि चीन गैर विवादित इलाकों में भी घुसपैठ कर रही है और यथास्थिति बिगाड़ रही है। लेकिन सरकार की ओर से दिए गए बयानों से इसका पता चल रहा है। अगर यथास्थिति नहीं बिगड़ी होती तो यह बात कहने का कोई मतलब नहीं होता कि दोनों देशों के बीच सैन्य व कूटनीतिक विवादों को सुलझाने का मैकानिज्म है और दोनों मेकानिज्म के जरिए बात हो रही है। बात हो रही है तो उसका मकसद सिर्फ यह है कि भारत चाहता है कि यथास्थिति बहाल हो जाए। यहां बारीक फर्क को समझना जरूरी है। चीन की तरफ से यथास्थिति बहाली का कोई दबाव नहीं है क्योंकि उसने ही इसे भंग किया है।
तभी भारत को उसके साथ सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर बात करते हुए उसी के जैसी राजनीति करनी चाहिए। जैसे भारत की नस दबाने के लिए चीन जम्मू कश्मीर का मुद्दा संयुक्त राष्ट्र में ले गया या पाकिस्तान को अपना ऑल वेदर दोस्त बता कर उसकी तऱफदारी करता है या नेपाल के जरिए भारत पर दबाव बना रहा है या वन बेल्ट, वन रोड की योजना पर काम कर रहा है। उसी तरह भारत को भी चीन के खिलाफ कूटनीतिक, सामरिक और आर्थिक तीनों तरह के कदम उठाने चाहिए।
चीन के खिलाफ कूटनीति का अभी बिल्कुल सही समय है क्योंकि कोरोना वायरस फैलाने में उसकी भूमिका को लेकर सारी दुनिया इस समय उसके खिलाफ मोर्चा खोलने को तैयार है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उसे जवाबदेह ठहराने का अभियान शुरू भी कर दिया है, जिसमें यूरोपीय संघ का उसे पूरा समर्थन मिलेगा। दूसरी ओर चीन इस समय कोरोना वायरस की वजह से दुनिया भर के देशों की आर्थिकी ठप्प होने का फायदा उठा कर अपनी ताकत बढ़ाने और दुनिया की धुरी बनने का प्रयास कर रहा है। वह इस मौके का फायदा उठा कर अखंड चीन बनाने का प्रयास कर रहा है। अखंड चीन के उसके अभियान में हांगकांग पर पूरी तरह से अधिकार करना शामिल है, जबकि ब्रिटेन के साथ हुई संधि के मुताबिक उसे एक देश, दो कानून के तहत हांगकांग को अलग कानून से चलने देना था।
अखंड चीन अभियान के तहत ही चीन का अगला निशाना ताइवान है और उसी अभियान के तहत वह भारत की सीमा के अंदर के कई इलाकों पर नजर गड़ाए हुए है। वह मध्यकाल वाले चीन का सपना देख रहा है। भारत इस समय अखंड भारत का सपना तो नहीं देख सकता है पर अगर देखना शुरू करे, कम से कम कूटनीतिक स्तर पर तो वह भी बुरा नहीं होगा। किसी जमाने में पश्चिम में फारस यानी ईरान तक और पूरब में वियतनाम व दक्षिण में मलय द्वीप यानी मालदीव तक भारत का हिस्सा रहा है। बहरहाल, फिलहाल यह नहीं कहा जाता है तब भी अखंड चीन के अभियान को रोकना होगा। इसके लिए जरूरी है कि भारत अपनी सीमा के विवाद को सुलझाते हुए हांगकांग, ताइवान आदि का मुद्दा उठाए। जरूरी हो तो संयुक्त राष्ट्र संघ में यह मुद्दा उठाया जाए और उस मसले पर चीन को बैकफुट पर लाने का प्रयास हो। कोरोना फैलने की जांच के जरिए भी ऐसा किया जा सकता है।
इसके अलावा भारत के पास एक बड़ा दांव आर्थिक बहिष्कार का है। भारत के जाने-माने शिक्षाविद् और लद्दाख के रहने वाले सोनम वांगचुक ने चीनी सामानों के बहिष्कार की बात कही है। उन्होंने भाजपा के किसी भक्त कार्यकर्ता की तरह यह बात नहीं कही है, बल्कि एक ब्लूप्रिंट जारी किया है। उन्होंने जरूरी उत्पादों के लिए कच्चे माल, तैयार माल, सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर आदि सबके लिए अलग अलग टाइमलाइन तय की है। उन्होंने बताया है कि किन सामानों का बहिष्कार एक हफ्ते में शुरू हो सकता है और किन सामानों का बहिष्कार एक साल के बाद करना चाहिए और इस बीच अपने यहां उनके निर्माण का काम शुरू करना चाहिए। सरकार एक नीति के तौर पर ऐसा नहीं कर सकती है पर आम लोगों को इसके लिए प्रेरित कर सकती है और इस बीच चीन से आयात होने वाली वस्तुओं की सूची बना कर उसके निर्माण की इकाइयों को स्थापित करने का प्रयास कर सकती है। इससे अपने आप चीन पर दबाव बढ़ेगा।
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