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- संवाददाता, ई-रेडियो इंडिया
डॉ. नीलू ने तबला वादन की बारिकियों से कराया अवगत
कार्यक्रम में महाविद्यालय की शिक्षिकाएं देश के विभिन्न प्रदेशों से विद्यार्थी संगीतज्ञ शिक्षक एवं सुधी श्रोता ऑनलाइन जुड़े रहे। सर्वप्रथम प्रोफ़ेसर नीलू शर्मा ने अपने प्रदर्शनात्मक व्याख्यान में कहा कि तबला वादन में प्राप्त तालीम के पश्चात वादन में कुशलता एवं प्रवीण प्राप्त करना आवश्यक है, यह वादन कौशल अनुशासन व जागरूक एवं सात्विक रियाज से ही संभव है। कला में स्पष्टता माधुरी एवं सुंदर पूर्ण निखार ही हो इस हेतु रियाज आवश्यक है।
आपको बता दें कि प्रोफेसर नीलू शर्मा तबला वादन में निपुण होने के साथ-साथ कथक नृत्यांगना भी हैं, उन्हें हाल ही में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। उन्होंने तबला वादन के विद्यार्थियों के लिए बहुत ही सरल एवं ज्ञानवर्धक जानकारियां प्रस्तुत की जिससे वह अपनी कला में और अधिक निखार ला सकें, उन्होंने बहुत सारे कायदे और हाथ के रखरखाव को तबला वादन पर बजाकर भी प्रस्तुत किया।
संगीत चिकित्सक अभिराज तायडे ने अलंकार अभ्यास पर दिये टिप्स
सत्र के द्वितीय वक्ता प्रोफेसर अभिराज तायडे जी पंडित भीमसेन जोशी जी की परंपरा के गायक है एवं नासिक के सुप्रसिद्ध गायक कलाकार हैं उन्होंने संगीत चिकित्सा पर भी कार्य किया है, उन्होंने अपने प्रदर्शन आत्मक व्याख्यान में संगीत में वॉइस कल्चर को बताया एवं अलंकार अभ्यास के बारे में लाभदायक टिप्स शेयर किए। उन्होंने गायकी में कुशलता लाने हेतु बहुत सी बारीकियों पर चर्चा की साथ ही विद्यालय संगीत विद्यार्थियों की दशा और दिशा पर भी बात की। अंत में उन्होंने भीमसेन जोशी का एक प्रसिद्ध भजन गाकर इस सत्र को विश्रांति प्रदान की।
इन लोगों के सहयोग से सम्पन्न हुआ कार्यक्रम
इस ऑनलाइन राष्ट्रीय कार्यशाला में गूगल मीट के डिजिटल प्लेटफॉर्म पर इस कार्यशाला के सभी अतिथि वक्ता भी आज इस सत्र में जुड़े रहे, जिसमें प्रोफेसर स्वतंत्र बाला शर्मा, डॉक्टर जया शाही, डॉ रुचि, प्रोफेसर पंकज माला शर्मा, विधि नागर प्रमुख है। महाविद्यालय की श्रीमती बीना प्रकाश, डॉक्टर ज्योत्सना, डॉ विनीता गुप्ता, डॉक्टर पूनम सिंह, डॉक्टर शुभा, डॉ राखी, सुश्री सिद्धी कुमारी, सरस्वती कुमारी, दीपा, डॉक्टर दीपिका, कुमारी स्मृति आदि उपस्थित रहे।
प्रतिभागियों के सवालों का उत्तर भी दिया
दोनों ही वक्ताओं ने सत्र के दौरान यूट्यूब पर लाइव देख रहे प्रतिभागियों के प्रश्नों का भी उत्तर दिया। इस कार्यशाला में देश के विभिन्न प्रदेशों से विद्यार्थी शिक्षकों और संगीतज्ञ की सक्रिय सहभागिता है। तकनीकी पक्ष को सुचारु रुप से व्यवस्थित करने में दीपक राठी ने संपूर्ण सहयोग प्रदान किया। इस कार्यशाला का आयोजन गुणवत्ता को ध्यान में रखकर किया गया है। अतः प्रतिभागियों से अंत में 50 प्रश्नों के फीडबैक फॉर्म को भर कर देना होगा। यह कार्यशाला दिनांक 7 जून से दिनांक 13 जून तक प्रतिदिन 4:30 पर प्रारंभ होगी।
प्रस्तुत कार्यशाला में भारतीय शास्त्रीय संगीत में समाहित सभी प्रमुख तत्वों पर प्रदर्शनात्मक व्याख्यानों द्वारा जानकारी दी जाएगी । कोविड-19 के इस समय में विद्यार्थियों,शोधार्थियों तक चिंतकों एवं शिक्षकों के विचार एवं अनुभव प्रेषित करने के लिए यह ऑनलाइन कार्यशाला का आयोजन संकल्पित है।
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