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नई दिल्ली। पृथ्वी पर 900 साल वाद सूर्यग्रहण का खतरनाक स्वरूप देखने को मिलेगा इससे कई पकार की हानियां होने के चांस हैं। ग्रहण का आंशिक रूप सुबह 9.16 बजे शुरू होगा। वलयाकार रूप सुबह 10.19 बजे शुरू होगा और यह दोपहर 2.02 बजे खत्म होगा। ग्रहण का आंशिक रूप दोपहर 3.04 बजे खत्म होगा।
सूर्य ग्रहण के दौरान क्या करें और क्या न करें इससे सम्बंधित कई बातें आपको यहां बताई जा रहीं हैं जिसे ध्यान में रखकर आप सूर्य ग्रहण के आंशिक या पूर्ण प्रभाव से बच सकते हो। ग्रहण में विशेषकर गर्भवती महिलाओं को सब्जी काटने, शयन करने, पापड़ सेकने आदि उत्तेजक कार्यों से परहेज करना चाहिए और धार्मिक ग्रंथ का पाठ करते हुए खुद को खुश रखने की कोशिश करें। इससे होने वाली संतान स्वस्थ और गुणों से भरपूर होती है। ग्रहणकाल के दौरान गर्भवती महिलाओं को पेट पर गाय के गोबर का पतला लेप लगाना चाहिए और सुंदरकांड का पाठ करने की कोशिश करनी चाहिए।
इसके अलावा दूध, घी, तेल, पनीर, अचार, मुरब्बा और भोजन सामग्रियों में तिल, कुश या तुलसीपत्र डाल देने से ये ग्रहण काल में दूषित नहीं होते. सूखे खाद्य पदार्थों में तिल या कुश डालने की जरूरत नहीं है।ग्रहणकाल में सूर्य की उपासना करने को बहुत अच्छा माना गया है. ग्रहणकाल में भगवान सूर्य की उपासना, आदित्य हृदय स्तोत्र, सूर्याष्टक स्तोत्र आदि सूर्य स्तोत्रों का पाठ व गुरु मंत्र का जाप करना चाहिए. ग्रहण के बाद स्नान-दान का भी महत्त्व है. ग्रहण जहां जितने समय तक दिखाई देता है, उसकी मान्यता वहां उतने काल तक ही होती है।
सूर्य ग्रहण पर और क्या नहीं करना चाहिए-
- सूर्य ग्रहण को कभी नंगी आंखों से नहीं देखना चाहिए. वैल्डिंग वाले काले ग्लास में से इसे देख सकते हैं.
- ग्रहण के दौरान शुभ काम नहीं करना चाहिए
- ग्रहण काल में खाना नहीं बनाना चाहिए
- ग्रहण के दौरान भोजन नहीं करना चाहिए
- ग्रहण के दौरान यात्रा पर नहीं निकलना चाहिए
- ग्रहण काल में गर्भवती महिला को बाहर नहीं निकलना चाहिए
- ग्रहण के बाद स्नान करना चाहिए
- ग्रहण के बाद दान-पुण्य करना चाहिए
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